जजों के बारे में आम धारणा होती है कि वह सिर्फ कानूनी नज़रिए से बातों को देखते हैं. जस्टिस बी आर गवई से थोड़ी देर की बातचीत इस धारणा को तोड़ देती है. 14 मई को देश के चीफ जस्टिस बनने जा रहे गवई अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि से मिले अनुभव का अदालती सुनवाई में खूब इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने एबीपी न्यूज़ के निपुण सहगल को बताया कि समाज के वंचित तबके की उनके पिता बहुत सहायता करते थे, उसका उनके जीवन पर गहरा असर है.
कौन थे जस्टिस गवई के पिता?
जस्टिस भूषण गवई के पिता रामकृष्ण गवई अंबेडकरवादी राजनेता थे. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की स्थापना की. वह महाराष्ट्र विधान परिषद और राज्यसभा के सदस्य रहे. इसके अलावा वह बिहार, केरल और सिक्किम के राज्यपाल भी थे. जस्टिस भूषण गवई बताते हैं कि उन्होंने पढ़ाई की शुरुआत अमरावती के म्युनिसिपल स्कूल से की. समाज में मौजूद विषमता को उन्होंने बहुत नज़दीक से देखा है.
बुलडोजर पर ब्रेक का ऐतिहासिक फैसला
बुलडोजर कार्रवाई पर देशव्यापी दिशानिर्देश बनाने वाले गवई से एबीपी न्यूज़ ने इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे की सोच जाननी चाही थी. इसके जवाब में उन्होंने अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि की चर्चा की. देश के 52वें चीफ जस्टिस बनने जा रहे गवई इस पद पर विराजमान होने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के दूसरे जज हैं.
देश के पहले बौद्ध CJI
जस्टिस गवई देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस होंगे. उन्होंने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वह दिल्ली के शांति स्तूप में परिवार के साथ प्रार्थना करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता में उनकी गहरी आस्था है. हर धर्म के लोग उनके मित्र हैं और उन्हें इस बात पर बहुत गर्व है. उन्होंने यह भी कहा कि वह मीडिया या सोशल मीडिया पर ध्यान नहीं देते. अपना काम करते समय वह यह नहीं सोचते कि लोग उनके बारे में क्या बात कर रहे हैं.
‘मेरे परिवार को आरक्षण की ज़रूरत नहीं’
अनुसूचित जाति आरक्षण में उपवर्गीकरण का फैसला भी जस्टिस गवई दे चुके हैं. उन्होंने अनुसूचित जाति में भी क्रीमी लेयर की पहचान कर उसे आरक्षण से बाहर करने की पैरवी की थी. गवई ने कहा कि वह खुद के बारे में भी यह मानते हैं कि उनके परिवार को अब आरक्षण की ज़रूरत नहीं है.
शपथ समारोह में मां भी रहेंगी मौजूद
गवई ने बताया कि वह अपने बचपन के दोस्तों से आज भी जुड़े हैं. उनके शपथ ग्रहण समारोह को देखने अमरावती से उनके कुछ दोस्त और नागपुर से कुछ वकील भी आ रहे हैं. जस्टिस गवई ने बताया कि उनकी मां भी परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहेंगी.
‘राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं’
युवावस्था में गवई ने पिता की तरह राजनीति में जाने का मन बनाया था. लेकिन उन्हें बहुत जल्द समझ में आ गया कि राजनीति उनके मिजाज के मुताबिक नहीं है. उन्होंने साफ किया कि रिटायरमेंट के बाद भी वह न तो राजनीति में जाएंगे, न कोई राजनीतिक पद लेंगे.
‘पहलगाम हमले से बहुत दुख हुआ’
23 अप्रैल को जस्टिस गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने पहलगाम आतंकी हमले के शोक में 2 मिनट का मौन रखा था. जजों ने आतंकी हमले को राक्षसी कृत्य बताते हुए इसके विरोध में प्रस्ताव पारित किया था. इस बारे में एबीपी न्यूज़ के सवाल पर जस्टिस गवई ने कहा कि जज भी इस समाज का हिस्सा हैं. ऐसे मौके पर देश के लोगों के साथ एकजुटता दिखाना उन्हें ज़रूरी लगा. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना देश के बाहर गए हुए थे. इसलिए, उन्होंने चीफ जस्टिस से सहमति लेकर फूल कोर्ट मीटिंग बुलाई.