Territorial Army: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंचने के बाद मोदी सरकार ने सेना प्रमुख को एक बड़ा अधिकार दे दिया है. अब आर्मी चीफ रेगुलर आर्मी की मदद के लिए प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के अधिकारियों और जवानों को बुला सकते हैं. बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर इसी टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन हैं.
रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग ने छह मई को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया है कि यह आदेश 10 फरवरी 2025 से 9 फरवरी 2028 तक तीन वर्षों के लिए लागू रहेगा. टेरिटोरियल आर्मी की स्थापना 9 अक्टूबर 1949 को हुई थी और पिछले वर्ष इसकी स्थापना के 75 वर्ष पूरे हुए हैं. इस बल ने दशकों की अपनी यात्रा के दौरान युद्ध के समय तथा मानवीय और पर्यावरण संरक्षण कार्यों में राष्ट्र की सेवा की है. यह पूरी तरह से नियमित सेना के साथ एकीकृत है.
सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी को बुलाने का अधिकार
देश के लिए योगदान के सम्मान में टेरिटोरियल आर्मी में कई व्यक्तियों को वीरता के साथ-साथ विशिष्ट सेवा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. नोटिस में कहा गया है कि टेरिटोरियल आर्मी के नियम 1948 के नियम-33 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार सेना प्रमुख को शक्तियों का प्रयोग करते हुए टेरिटोरियल आर्मी के प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारियों को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने या नियमित सेना को सहायता करने के उद्देश्य से शामिल करने के लिए बुलाने का अधिकार देती है.
नोटिस में यह भी कहा गया है कि मौजूदा 32 इन्फैंट्री बटालियनों में से 14 इन्फैंट्री बटालियनों को दक्षिणी कमान, पूर्वी कमान, पश्चिमी कमान, मध्य कमान, उत्तरी कमान, दक्षिण पश्चिमी कमान, अंडमान और निकोबार कमान और सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) के क्षेत्रों में तैनाती के लिए शामिल किया गया है.
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